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    उद्देश्य और कार्य

    उद्देश्य एवं कार्य

    यह संस्था उत्तराखंड ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता परियोजना/कार्यक्रम के कार्यान्वयन का समन्वय और निगरानी करने के लिए एक स्वतंत्र स्वायत्त निकाय के रूप में कार्य करेगी। कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

    संस्था का प्रमुख उद्देश्य उत्तराखंड सरकार के आदेश संख्या 227/29(1)-2020 (01 adm)/2020 दिनांक 24 फरवरी 2020 में उल्लिखित “ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता विजन 2020” को पूरा करना है। विशेष उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

    प्रारंभिक चरण में ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता कार्यक्रम की योजना बनाना और तैयारी पूर्ण करना तथा आगे चलकर कार्यक्रम की समग्र नीति निर्माण और प्रबंधन की जिम्मेदारी लेना।

    राज्य में विकेन्द्रीकृत मांग-आधारित दृष्टिकोण को संस्थागत रूप देने की पूर्ण जिम्मेदारी लेना।

    राज्य भर में ग्रामीण जल आपूर्ति और स्वच्छता क्षेत्र का नेतृत्व, समन्वय और प्रबंधन सुनिश्चित करना।

    उत्तराखंड सरकार को एक उपयुक्त नीति ढांचा और रणनीतिक योजना तैयार करने एवं लागू करने में सहायता देकर ग्रामीण जल आपूर्ति एवं स्वच्छता क्षेत्र की दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ावा देना।

    A. जल आपूर्ति:

    • राज्य में प्रत्येक घर, विद्यालय, आंगनवाड़ी केंद्र, ग्राम पंचायत भवन, स्वास्थ्य केंद्र, वेलनेस केंद्र और सामुदायिक भवनों को कार्यशील घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) प्रदान करना, जिसकी सेवा स्तर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर (lpcd) हो।
    • गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों, सूखा प्रवण एवं रेगिस्तानी गांवों, सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) के गांवों आदि में प्राथमिकता देना।
    • गुणवत्ता प्रभावित बसावटों को प्राथमिकता के आधार पर संबोधित करना।
    • पीने योग्य जल स्रोतों का विकास/संवर्धन;
    • जल स्थानांतरण (बहु-ग्राम योजना; जहां स्थानीय स्रोतों में मात्रा या गुणवत्ता की समस्या हो);
    • पीने योग्य जल बनाने हेतु तकनीकी हस्तक्षेप (जहां गुणवत्ता समस्या है, पर मात्रा पर्याप्त है);
    • चल रही/पूर्ण पाइपलाइन जल योजनाओं में FHTC प्रदान करना व सेवा स्तर बढ़ाने हेतु रेट्रोफिटिंग;

    ग्रे जल प्रबंधन;

    • निर्माण, प्लंबिंग, विद्युत, जल गुणवत्ता प्रबंधन, जल उपचार, कैचमेंट संरक्षण, संचालन और रख-रखाव आदि की मांगों को पूरा करने हेतु मानव संसाधनों का सशक्तिकरण और विकास;
    • जल स्रोतों और प्रणालियों की दीर्घकालिक स्थिरता को बढ़ावा देना, जिसमें वर्षा जल संचयन, भूजल पुनर्भरण, भूजल प्रबंधन, उन्नत O&M मानक और लागत वसूली शामिल हैं।

    B. स्वच्छता:

    • गांवों की ODF (खुले में शौच मुक्त) स्थिति को बनाए रखना और ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन (SLWM) गतिविधियों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई के स्तर को सुधारना, जिससे गांव ODF प्लस बन सकें।
    • व्यक्तिगत और घरेलू स्वच्छता, जल प्रबंधन और घरेलू तरल एवं ठोस कचरे के सुरक्षित निपटान से जुड़े मुद्दों को संबोधित करना।
    • प्रत्येक घर, प्राथमिक विद्यालय, पंचायत घर और आंगनवाड़ी केंद्र में शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराना तथा गांव में निरंतर व्यवहार परिवर्तन संचार सुनिश्चित करना। गांव में कम से कम पाँच IEC संदेश प्रमुख रूप से प्रदर्शित हों। यदि गांव में 100 से अधिक घर हैं, तो वहां सामुदायिक शौचालय परिसर (CSC) होना चाहिए।
    • घरों और सार्वजनिक स्थलों (जैसे स्कूल, पंचायत भवन, आंगनवाड़ी केंद्र) में ठोस कचरे का प्रभावी प्रबंधन, जिसमें जैव-अपघटनीय कचरे के लिए कंपोस्ट पिट और प्लास्टिक कचरे के लिए पृथक्करण और संग्रहण प्रणाली शामिल है।
    • तरल कचरे का प्रभावी प्रबंधन, जिसमें रसोई और स्नान से उत्पन्न ग्रे जल, वर्षा जल एवं सेप्टिक टैंकों से बहाव के कारण उत्पन्न ब्लैक वाटर का प्रबंधन शामिल है।
    • गांव को “दृश्य रूप से स्वच्छ” घोषित किया जाएगा, यदि 80% घर और सभी सार्वजनिक स्थान न्यूनतम कूड़ा-कचरा और जल जमाव से मुक्त हों, और कहीं भी प्लास्टिक कचरे का ढेर न हो।
    • व्यवहार परिवर्तन संचार एवं क्षमता निर्माण के माध्यम से गांवों की ODF स्थिति को बनाए रखना।
    • सभी घरों में IHHL (व्यक्तिगत शौचालय) का 100% उपयोग सुनिश्चित करना।
    • गांव के स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों और पंचायत घरों में क्रियाशील शौचालय, स्त्री-पुरुष के लिए पृथक शौचालय की सुविधा।
    • पिछले चरण में छूटे सभी नए घरों के लिए शौचालय निर्माण और स्थान की कमी, अस्थायी जनसंख्या आदि को ध्यान में रखते हुए CSC का निर्माण।
    • अन्य सरकारी कार्यक्रमों एवं CSR के साथ समन्वय एवं एकीकृत नीति/रणनीति योजना बनाना।
    • शौचालयों का रेट्रोफिटिंग।
    • ठोस कचरा प्रबंधन के अंतर्गत जैव-अपघटनीय कचरे का प्रबंधन, गोबर धन योजना, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देना।
    • जहां शौचालय रेट्रोफिटिंग संभव न हो, वहां फीकल स्लज प्रबंधन किया जाएगा।

    संसाधन संगठन के रूप में भूमिका:

    यह संस्था ग्रामीण जल आपूर्ति एवं स्वच्छता क्षेत्र में सुधार लाने के लिए संसाधन संगठन के रूप में कार्य करेगी। यह भारत सरकार द्वारा शुरू की गई “जल जीवन मिशन (JJM)” और “स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) चरण-I और II” या भारत सरकार/उत्तराखंड सरकार के किसी अन्य परियोजना/कार्यक्रम के कार्यान्वयन में भी सक्रिय भूमिका निभाएगी।

    गतिविधियाँ:

    a. संस्थागत निर्माण:

    • राज्य एवं जिला स्तर पर संस्थाओं की स्थापना और उन्हें मांग आधारित दृष्टिकोण एवं सहभागी प्रक्रियाओं को अपनाने हेतु सशक्त बनाना।
    • ग्राम पंचायतों, ग्राम जल आपूर्ति और स्वच्छता समितियों (VWSCs), गैर-सरकारी संगठनों (NGOs), सामुदायिक संगठनों (CBOs), सहयोगी संस्थाओं (SOs) और अन्य विभागों का क्षमता निर्माण।
    • स्वास्थ्य, स्वच्छता और स्वच्छ व्यवहार को बढ़ावा देना।

    b. भौतिक अवसंरचना विकास:

    • नई/विस्तार/पुनरुद्धार/पुनर्जीवन ग्रामीण जल योजनाओं का निर्माण करवाना।
    • भूजल पुनर्भरण, जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन योजनाओं का निर्माण करवाना।
    • गंदे पानी के निपटान और नालों के माध्यम से जल निकासी प्रणालियों का निर्माण करवाना।
    • घरेलू, सामुदायिक और संस्थागत शौचालयों का निर्माण/पुनःनिर्माण करवाना।
    • कचरे के निपटान, सामुदायिक स्वच्छता पिट्स और अन्य स्वच्छता सुविधाओं को बढ़ावा देना।
    • शौचालयों का रेट्रोफिटिंग।
    • ठोस कचरा प्रबंधन के अंतर्गत जैव-अपघटनीय कचरे का प्रबंधन, गोबर धन योजना और प्लास्टिक कचरा प्रबंधन को बढ़ावा देना।
    • तरल कचरा प्रबंधन के अंतर्गत ग्रे वाटर प्रबंधन की गतिविधियाँ जल जीवन मिशन के वार्षिक कार्य योजना (AAP) के अनुसार की जाएंगी।
    • जहां रेट्रोफिटिंग संभव न हो, वहां फीकल स्लज प्रबंधन किया जाएगा।